Saturday, July 27
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आज शाम पटना लाया जाएगा राम विलास पासवान का पार्थिव शरीर, शनिवार को होगा अंतिम संस्कार

केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का गुरुवार को दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। पासवान के परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक उनका पार्थिव शरीर गुरूवार की रात दिल्ली के उस अस्पताल में ही रखा गया है जहां उनका इलाज चल रहा था। आखिरी दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को आज सुबह 10 बजे उनके दिल्ली स्थित आवास 12 जनपथ लाया जाएगा।वहां लगभग 3 घंटे तक आखिरी दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को रखा जायेगा। उसके बाद दोपहर 2 बजे दिल्ली से पार्थिव शरीर पटना लाया जाएगा। जहां लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। वहीं शनिवार को पटना में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

बता दें कि राम विलास पासवान पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के फोर्टीस अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। इसकी जानकारी उनके बेटे और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने ट्वीट कर दी। वो 74 साल के थे कुछ दिनों पहले ही उनकी हार्ट सर्जरी भी हुई थी।

केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद बिहार और देश के राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ-साथ देश के तमाम नेताओं ने उनके निधन पर गहरी संवेदना जाहिर की है। पासवान के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को आज दोपहर बाद पटना लाया जाएगा, जहां उनके चाहने वाले पार्टी के कार्यालय में उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है। रामविलास पासवान संसद के सबसे अधिक सक्रिय और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मेंबर रहे। वे दलितों की आवाज थे और उन्होंने हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों की लड़ाई लड़ी।

चर्चा थी कि आखिरी संस्कार खगडिया स्थित उनके पैतृक गांव में हो सकता है लेकिन परिवार के लोगों ने पटना में ही अंतिम संस्कार होने की जानकारी दी है। शनिवार को दिन में 10 बजे अंतिम संस्कार किया जायेगा।

रामविलास पासवान का जन्म पांच जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले एक गरीब और दलित परिवार में हुआ था।उन्होंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी से एमए और पटना यूनिवर्सिटी से एलएलबी की।बिहार के खगड़िया ज़िले में एक दलित परिवार में जन्मे राम विलास पासवान पढ़ाई में अच्छे थे। उन्होंने बिहार की प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास की और वे पुलिस उपाधीक्षक यानी डीएसपी के पद के लिए चुने गए लेकिन उस दौर में बिहार में काफ़ी राजनीतिक हलचल थी। और इसी दौरान राम विलास पासवान की मुलाक़ात बेगूसराय ज़िले के एक समाजवादी नेता से हुई जिन्होंने पासवान की प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।लेकिन शुरुआत में उनकी गिनती बिहार के बड़े युवा नेताओं में नहीं होती थी।

पासवान ने ही समझा था दलितों का असली दर्द

पासवान बाद में जेपी आंदोलन में भी शामिल हुए और 1975 में लगी इमरजेंसी के बाद लगभग दो साल जेल में भी रहे. छात्र आंदोलन और जेपी आंदोलन के समय लालू यादव, नीतीश कुमार, सुशील मोदी, शिवानंद तिवारी, वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे नेताओं का नाम ज़रूर सुना जाता था, लेकिन पासवान का नाम लोगों ने पहली बार 1977 में सुना.पासवान जी का नाम तब वैसा नहीं सुना जाता था, क्योंकि उनका नाम 74 की जो लीडरशिप थी उसमें नहीं था, फ़ैसला लेने वालों में वो शामिल नहीं थे। टिकट मिलने में उनको सुविधा इसलिए हो गई होगी क्योंकि वे दलित थे और एक बार विधायक भी रह चुके थे। रामविलास जी के बारे में ध्यान गया 77 के चुनाव में, जब लोगों में ये जानने की दिलचस्पी हुई कि ये रिकॉर्ड किसने बनाया।


इसके बाद रामविलास पासवान ने संसद के मंच का अच्छा इस्तेमाल किया.“सबसे ज़्यादा सवाल पूछने वाले नेताओं में उनकी गिनती होती थी, वो ख़ूब पढ़ते-लिखते थे, हर मुद्दे पर सवाल पूछते थे जिससे उनकी छवि तेज़ी से बदली और फिर जो नए नौजवानों की लीडरशिप उभरी, उसमें वो शामिल रहे।”1969 में पासवान ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर अलौली सुरक्षित विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और यहाँ से उनके राजनीतिक जीवन की दिशा निर्धारित हो गई।

1969 में पासवान ने लड़ा था पहला चुनाव

1969 में पहली बार पासवान बिहार के राज्‍यसभा चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कैंडिडेट के तौर पर चुनाव जीते।
1977 में छठी लोकसभा में पासवान जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने।
1982 में हुए लोकसभा चुनाव में पासवान दूसरी बार जीते।
1983 में उन्‍होंने दलित सेना का गठन किया तथा 1989 में नौवीं लोकसभा में तीसरी बार चुने गए।
1996 में दसवीं लोकसभा में वे निर्वाचित हुए।
2000 में पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोक जन शक्ति पार्टी का गठन किया।
इसके बाद वह यूपीए सरकार से जुड़ गए और रसायन एवं खाद्य मंत्री और इस्पात मंत्री बने।
पासवान ने 2004 में लोकसभा चुनाव जीता, लेकिन 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
बारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा में भी चुनाव जीते।
अगस्त 2010 में बिहार राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और कार्मिक तथा पेंशन मामले और ग्रामीण विकास समिति के सदस्य बनाए गए थे।
मनमोहन सिंह के साथ रामविलास पासवान
वो तीसरे मोर्चे की सरकार में भी मंत्री रहे, कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार में भी और बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए सरकार में भी। वो देश के इकलौते राजनेता रहे, जिन्होंने छह प्रधानमंत्रियों की सरकारों में मंत्रिपद संभाला।
विश्वनाथ प्रताप सिंह से लेकर, एचडी देवगौड़ा, आईके गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की सरकार में अपनी जगह बना सकने के उनके कौशल पर ही कटाक्ष करते हुए एक समय में उनके साथी और बाद में राजनीतिक विरोधी बन गए लालू प्रसाद यादव ने उन्हें ‘मौसम वैज्ञानिक’ कहा था।
कहा जाता है, अपने सारे राजनीतिक जीवन में पासवान केवल एक बार हवा का रुख़ भांपने में चूक गए, जब 2009 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ झटक लालू यादव का हाथ थामा और उसके बाद अपनी उसी हाजीपुर की सीट से हार गए जहाँ से वो रिकॉर्ड मतों से जीतते रहे थे।

लोजपा नेता सूरजभान सिंह दिल्ली रवाना
लोजपा नेता सूरजभान सिंह रामविलास पासवान के निधन के बाद दिल्ली रवाना हो गए हैं। लोजपा नेता सूरजभान सिंह ने पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनके निधन से मेरी सबसे बड़ी क्षति हुई है। उनसे हमारा पारिवारिक रिश्ता था और कहीं न कहीं वह हमारे लिए अभिभावक थे।

कई नेताओं ने यूं किया याद

रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी रामविलास पासवान के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि वो लगातार दलितों, गरीबों और वंचितों को आगे बढ़ाने का काम करते रहे. कुशवाहा ने कहा कि वह ऐसे महान व्यक्ति थे जिन्होंने निस्वार्थ भावना से गरीबों और दलितों की मदद की. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिजन को दुख सहने की क्षमता दे.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है। रामविलास पासवान संसद के सबसे अधिक सक्रिय और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मेंबर रहे। वे दलितों की आवाज थे और उन्होंने हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों की लड़ाई लड़ी।

रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी रामविलास पासवान के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि वो लगातार दलितों, गरीबों और वंचितों को आगे बढ़ाने का काम करते रहे. कुशवाहा ने कहा कि वह ऐसे महान व्यक्ति थे जिन्होंने निस्वार्थ भावना से गरीबों और दलितों की मदद की. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिजन को दुख सहने की क्षमता दे.

पाटलिपुत्रा सांसद रामकृपाल यादव ने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन पर शोक प्रकट किया. पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री और भाजपा सांसद रामकृपाल यादव ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से स्तब्ध और मर्माहत हूं।वे देश के करोड़ो गरीबों और बेजुबानों के आवाज थे।

वहीं, जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष सह-मंत्री भवन निर्माण विभाग अशोक चौधरी ने भी केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. अपने शोक संदेश में मंत्री ने कहा है कि उनका निधन राजनीतिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. समाजवादी आंदोलन के मजबूत स्तम्भों में से एक रामविलास पासवान जी ने सदा अभिवंचित वर्ग के लिए आवाज उठाने का काम किया।

बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा है कि रामविलास पासवान से हमारे पारिवारिक रिश्ते थे और उनके निधन होने से आभारी क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि उनका जीवन हमेशा गरीबों, शोषित और दलितों को आगे बढ़ाने में लगा रहा। उन्होंने समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया।

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