Friday, July 26
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ब्रह्मपुर विधनसभा सीट पर स्थानीय नेता चाहते है वहां के लोग

बिहार के बक्सर जिला का ब्रह्मपुर सीट, बहुत मायनों में महत्वपुर्ण है। यह विधानसभा भोजपुर और बक्सर जिलें के बॉर्डर पर है। आजादी के बाद से यहां पर भूमिहार और ब्राह्मणों का दबदबा दिखता रहा है। यहां से जिन लोंगो ने चुनाव लड़ा और जीता उनमें ललन प्रसाद सिंह, बुद्धि नाथ सिंह, सूर्यनारायण शर्मा, ऋषिकेश तिवारी, स्वामी नाथ तिवारी, अजित चौधरी और दिलमणी देवी शामिल है। वहीं अगर मौजुदा विधायक की बात करे तो 2015 में भाजपा के बड़े नेता सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर को हरा कर राजद के संभु नाथ यादव विधायक बने।

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क्या है समीकरण?


अगर कुल जनसंख्या की बात करे तो ब्रह्मपुर बाकी विधनसभाओं से जादा बड़ा है। यहां की कुल आबादी 4,45,551 है जिसमें 2,87,883 वोटर्स है। ब्रह्मपुर में कुल तीन प्रखंड है। सबसे बड़ा ब्रह्मपुर, फ़िर चक्की और सबसे छोटा सिमहरी। इस विधानसभा में 11.95 प्रतिशत अनुसूचित जाती और 2.43 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की आबादी है। वही अकेले चक्की प्रखंड में लगभग अस्सी हज़ार यादव वोट है और पुरे विधनसभा में पचास हज़ार भूमिहार वोट है।

कभी राजद का यहां दबदबा रहा था, जब लालू प्रसाद यादव की राजद बिहार के सत्ता पर काबिज थी। अजित चौधरी यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीते थे, फ़िर दिलमणी देवी यहां से 2010 में विधायक बनी।

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पिछड़ेपन का शिकार ब्रह्मपुर

इस विधानसभा में ना जाने कितने दल से कितने नेता विधायक बने पर आज भी यह विधानसभा पिछड़ेपन का शिकार है। ग्रामीण सड़क का हाल आज भी वही है जो 1990 के दौर में हुआ करता था। गंगा किनारे बसा यह इलाका आज भी खेती को लेकर पानी के अभाव से जूझता हुआ दिख जाता है। सदर अस्पताल में कभी डॉक्टर नदारद रहते है तो कभी दवा उप्लब्ध नहीं रहता है।
हर चुनाव में नेता आते है, वादा करते है, वोट लेते है, जीत जाते है और फ़िर गायब हो जाते है।

ब्रह्मपुर के मौजुदा विधायक संभु नाथ यादव पिछ्ले पांच साल से अपने इलाके से गायब है। पिछ्ली बार उन्हें 94079 वोट मिला था तो विवेक ठाकुर को 63,303 वोट आये थे। पिछ्ली बार जो समीकरण बनी थी वो जदयू और राजद गठबंधन की थी। ऐसे में दलित, यादव और अति पिछड़ा का पुरा वोट संभु नाथ यादव को मिल गया था। पर इसबार बात कुछ अलग है। इस बार भाजपा और जदयू का गठबंधन है। भाजपा को यह सीट मिलना लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में यहां से कई प्रत्याशी रेस में दिख रहे है। वो तीन नाम जो इस रेस में सबसे आगे है वो दिलमणी देवी, संतोष राय और भरत शर्मा व्यास का है।

जनता क्या चाहती है?


अगर वहां के स्थानीय लोंगो की बात करे तो उनकी मांग है की उन्हें ऐसा नेता चाहिए जो उनके विधनसभा का हो, जो उनके संपर्क में रहे और जो उनकी बात सुने। और इन सब बातों पर जो शक्स खड़ा उतरता हुआ दिखता है वो भरत शर्मा व्यास है। भरत शर्मा भोजपुरी के सबसे प्रसिद्ध गायकों में से एक है। समाजिक सरोकार भी उनका उस विधानसभा में बहुत अच्छा है। वे खुद ब्रह्मपुर विधानसभा के सीमहरी प्रखंड के नगपुरा गाव के निवासी है। मौजूदा समय में उनकी पत्नी संजू शर्मा बलिहार पंचायत की मुखिया है। भरत शर्मा पिछ्ले कई सालों से अपने इलाके के लोंगो के चहिते बने हुए है। पहले भी कई दफा वहां के लोगों ने उन्हें चुनाव लड़ने की बात कही है, पर अपने संगीत के कैरियर के लिए उन्होनें खुद को राजनीती से दूर ही रखा। पर इस विधानसभा में वो अपना किस्मत अगर आजमाते है तो जनता उनका साथ देगी क्युकी जनता अब अपना स्थानीय नेता चाहती है। फिलहाल भरत शर्मा भाजपा, दिल्ली के कला प्रकोष्ट के प्रदेश उपाध्यक्ष है। इस बार टिकट किसे मिलता है यह तो भाजपा आलाकमान ही तय करेगा पर रेस में भरत शर्मा व्यास भी अपना स्थान बनाये हुए है। दिलमणी देवी की बात करे तो वो पुर्व में विधायक रही है, पर जनता से उनका संपर्क ना के बराबर रहा है। वही संतोष राय भी इस विधानसभा से प्रबल दावेदार बताये जा रहे है।

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