Desk: सात समुन्द्र पार नेता प्रतिपक्ष ने ग्लोबल लीडर के तौर पार अपनी पहचान बनाई है. उन्होंने आने वाले 25 सालों में भारत कि तरक्की को लेकर लन्दन में चर्चा की है. बता दे, विश्व के सबसे पुराने, ऐतिहासिक, गौरवशाली, सर्वश्रेष्ठ और प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक “कैंब्रिज विश्वविद्यालय” में स्टूडेंट्स के साथ कैंब्रिज दक्षिण एशिया छात्र फ़ोरम द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में तेजस्वी ने भाग लिया. जहां उन्होंने देश और बिहार के सर्वांगीण विकास तथा लोकतंत्र, विपक्ष का भविष्य, भूमिका व एकता पर अपने विचार रखे एवं छात्रों के सवालों के जवाब दिए.
बता दे, अपने संबोधन व वार्तालाप में उन्होंने कहा कि हम एक बेहतर और विकसित भारत के लिए लड़ रहे हैं. हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं बल्कि नफ़रत व आर्थिक/सामाजिक असमानता फैलाने वाली फासीवादी विचारधारा से है. हमारी लड़ाई बेरोजगारी, गरीबी, गैर-बराबरी, सांप्रदायिकता और असंवेदनशील पूंजीवाद के खिलाफ है. हमारी नीतियाँ, सिद्धांत, विचारधारा और पार्टी गरीब, युवा, महिला, किसान, वंचित, उपेक्षित और अल्पसंख्यक वर्गों के पक्ष में है. हम इन वर्गों की लड़ाई मज़बूती से लड़ रहे है.
साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र की अपनी चुनौतियाँ हैं और तमाम बाधाओं के बावजूद हम लोकतंत्र के लोकाचार को बनाए रखने में सफल रहे हैं. हम लोकतंत्र में लोक के महत्व को सबसे अधिक समझते है. भारतीय लोकतंत्र की जड़ें जनता के संघर्ष में परिलक्षित होती हैं जिसे हम समय-समय पर देखते हैं न कि समय-समय पर होने वाले चुनावों में देखते है.
बता दे कार्यक्रम में तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री यादव, पूर्व सांसद डॉ मनोज झा , विदेश मंत्री जनाब सलमान ख़ुर्शीद, CPM महासचिव सीताराम येचुरी जी, TMC सांसद महुआ मोइत्रा, सहित अनेक प्रोफ़ेसर, स्कॉलर, व प्रबुद्ध छात्र उपस्थित थे.