पटना, आनलाइन डेस्क। बिहार में शराबबंदी कानून (Prohibition Law in Bihar) पर बहस छिड़ी हुई है। सत्ता पक्ष इसको पूरी तरह सफल तो विपक्ष इसे पूरी तरह फेल बता रहा है। अब केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस (Union Minister Pashupati Kumar Paras) ने शराबबंदी को पूरी तरह फेल बता दिया है। उन्होंने कहा है कि यह गरीबों के लिए काफी अहितकर कानून है। वे जेल और बेल के बीच में पिस रहे हैं। सरकार से संभल नहीं रहा इसलिए इसे खत्म कर देना चाहिए। केंद्रीय मंत्री के बयान पर अब सियासत शुरू हो गई है। जदयू और राजद ने पारस के बयान पर पलटवार किया है।
जेल-बेल के चक्कर में पिसते हैं गरीब
केंद्रीय मंत्री ने शराबबंदी कानून को विफल बताने के साथ ही सीएम नीतीश कुमार पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की जनता के भरोसे को धोखा दिया है। लोगों का विश्वास एवं भरोसा उनपर से उठ गया है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून से गरीब, शोषित, पिछड़े और दलित सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। उन्हें खानापूर्ति के लिए पुलिस पकड़कर जेल में डाल देती है। इसके बाद वे जेल और बेल के चक्कर में पिसते रहते हैं। क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वे जेल से छूट सकें। यह कानून उनके लिए काफी अहितकर है। पारस ने यह भी कहा कि सीएम ने तो स्वयं कहा कि शराब के मामले में पटना में सबसे ज्यादा गड़बड़ी हो रही है। दरअसल इनसे संभल नहीं रहा है।
राजद और जदयू ने किया पलटवार
केंद्रीय मंत्री के बयान पर राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि, शराबबंदी कानून से इतनी दिक्कत है तो गुजरात में क्यों नहीं इसे खत्म करा देते। दरअसल आदतन लोग शराब चालू करने की मांग कर रहे हैं। भाजपा और घटक दल की चाहत है कि शराबबंदी कानून खत्म हो तो उनसे आग्रह करते हैं कि सड़कों पर उतरें और शराब चालू करने की गुहार लगाएं। जदयू प्रवक्ता मंजीत सिंह ने कहा कि पशुपति पारस को इस कानून की क्या जानकारी है। वे कभी अपने क्षेत्र में तो जाते नहीं। दरअसल जो लोग शराब के आदी हैं, शराब पीना चाहते हैं वही लोग और वैसी ही पार्टी शराबबंदी कानून खत्म करने की मांग करती है।
सकारात्मक असर भी तो देखिये
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि जो लोग सवाल उठा रहे हैं उन्हें इनका सकारात्मक असर भी देखना चाहिए। छिटपुट घटनाएं होती रहती हैं। लेकिन जबसे यह कानून लागू हुआ है समाज में काफी परिवर्तन आया है। पहले लोग पीकर सड़क पर लुढ़कते रहते थे। कई अन्य तरह की बातें होती थीं। आज वह नहीं हो रहा है।