विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में सरगर्मी तेज है। प्रत्याशी सिम्बल मिलने के बाद नामांकन कर रहे हैं और चुनाव प्रचार भी अपना रंग पकड़ने लगा है। इन सबके बीच लोगों ने अपने जनप्रतिनिधि का विरोध करना भी शुरू कर दिया है। पांच साल तक क्षेत्र से नदारद रहने वाले नेताओं को लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं बिहार के कई जिले और विधानसभा क्षेत्र के लोग रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ मतदान के बहिष्कार की भी बात कर रहे हैं। सुशासन बाबू और विकास पुरुष के नाम से पहचाने जाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने 7 निश्चय योजना के तहत हर घर पानी के साथ-साथ हर गाली पक्की सड़क और नाली निर्माण करवाने का दावा भी कर रहे हैं। लेकिन ग्राउंड की स्थिति उनके बयान और दावों से काफी अलग है।
अधिकांश क्षेत्रों में नल-जल का सिर्फ पाइप लगा है लेकिन नल से पानी नहीं निकला है और सूदूर क्षेत्रों में तो कार्य शुरू भी नहीं हुयी है। ग्रामीण इलाकों में गाँव के अंदर और मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़कों की स्थिति काफी अधिक खस्ताहाल है। ऐसे में कई सारे विधानसभा क्षेत्र से ख़बरें आ रही हैं कि लोग रोड नहीं तो वोट नहीं के नारा के साथ अपने जनप्रतिनिधि का विरोध और मतदान के बहिष्कार की बात कर रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला गया जिले का है जहां वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र के बारागंधार गांव के लोगों ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2020 को लेकर वोट बहिष्कार का मन बना लिया है। बारागंधार महादलित टोला में आजादी के बाद से सड़क बनी ही नहीं है जिसके कारण यह गांव विकास से वंचित है।
यहाँ के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है,वही कई लोग सड़क नही रहने के कारण अपनी जान भी गवां चुके हैं। गांव के लोगों ने बताया कि जब चुनाव होता है तो प्रत्याशी वोट मांगने के लिए आते हैं और वह आश्वासन देते हैं कि इस बार हम जीतेंगे तो सड़क बना देंगे, लेकिन आज तक किसी ने जीतने के बाद इस गांव में दर्शन नहीं दिया।
इसीलिए हम लोगों ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने का मन बना लिया है और सड़क नहीं तो वोट नहीं का नारा दिया गया है।
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