Saturday, July 27
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अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि को लेकर न हो भ्रमित, यहां जाने सही जानकारी…

Shardiya Navratri 2020: 17 अक्टूबर दिन शनिवार से नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. आज नवरात्रि का तीसरा दिन है. इस दिन मां चंद्रघंटा पूजा की पूजा होती है. नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर घरों और मंदिरो में कन्या पूजन किया जाता है. नवरात्रि के बाद कन्या पूजन का विशेष महत्व माना गया है. इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिन का होगा. जैसा कि आप जानते हैं कि इस बार नवरात्रि में अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि को लेकर कुछ संशय की स्थिति बन रही है.

ड्रिंक पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि 23 अक्टूबर दिन शुक्रवार को पड़ रही है. वहीं अष्टमी तिथि भी 23 अक्टूकर की सुबह 06 बजकर 57 मिनट पर शुरू हो जाएगी, जो कि बुधवार 24 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक रहेगी. उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी. नवमी तिथि 24 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगी.

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ऋषिकेश पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि 23 अक्टूबर दिन शुक्रवार को 12 बजकर 09 मिनट तक है, इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी और 24 अक्टूबर दिन शनिवार की दोपहर 11बजकर 27 मिनट तक रहेगी, इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो रही है जो 25 अक्टूबर दिन रविवार को 11बजकर 14 मिनट तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो रही है, जो दूसरे दिन 26 अक्टूबर दिन सोमवार को दोपहर 11बजकर 33 मिनट तक रहेगी. अतः 25 अक्टूबर को ही विजयदशमी पर्व का उत्सव मनाया जाएगा.

सके बाद दशमी तिथि लग जाएगी. दशमी तिथि प्रारंभ 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट पर होगी, जो 26 अक्टूबर के दिन सुबह 9 बजे समाप्त हो जाएगी. दशमी तिथि 25 अक्टूबर की सुबह लग जाने के कारण विजय दशमी पर्व इसी दिन मनाया जाएगा. वहीं बंगाल में विजय दशमी 26 अक्टूबर दिन सोमवार को मनााया जाएगा.

अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का है विशेष महत्व

नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर घरों और मंदिरो में कन्या पूजन किया जाता है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करने का विशेष महत्व माना गया है. नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथियों पर मां महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इन तिथियों पर कन्याओं को घरों में बुलाकर भोजन कराया जाता है. नवरात्रि में  नौ कन्याओं को भोजन करवाना चाहिए क्योंकि नौं कन्याओं को देवी दुर्गा के नौं स्वरुपों का प्रतीक माना जाता है. कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन करवाना आवश्यक होता है क्योंकि उन्हें बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है. मां के साथ भैरव की पूजा आवश्यक मानी गई है. 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष की आयु तक की कन्याओं का कंजक पूजन किया जाता है.

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किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा

18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा

20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा

21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा

22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा

23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा

24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा

25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा

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