Friday, March 29
Shadow

Bihar elections 2020: LJP का बिहार में NDA से अलग होने का फैसला BJP और JDU पर पड़ेगा भारी?

लोजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला ले लिया है। रविवार को दिल्ली में हुई लोजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया। अब देखना यह है कि बिहार में लोजपा से अलग होकर एनडीए को कितना फायदा मिलता है।

दोनों ही दल (जेडीयू और भाजपा) यह दावा करते रहे हैं कि उनका स्वाभाविक गठबंधन है और दोनों ही दलों की आपसी समझ भी काफी बेहतर है। एनडीए के दोनों ही प्रमुख दलों को बिहार की जनता भी सिर आंखों पर बिठाती रही है। इस चुनाव में जनता इन्हें या महागठबंधन के दलों पर मेहरबान होती है, यह तो भविष्य बताएगा लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि कि जब-जब ये दोनों दल साथ लड़े जेडीयू का वोट प्रतिशत हर बार बढ़ता चला गया। जदयू का साथ मिलने से 2005 के फरवरी में हुए बिहार विधानसभा के चुनाव से ही भाजपा के भी वोट प्रतिशत में चुनाव-दर-चुनाव इजाफा होता चला गया।  

वर्ष 1994 में जनता दल (जे) समता पार्टी बनी थी। 1996 के लोकसभा चुनाव से भाजपा और जदयू का बिहार में गठबंधन हुआ। वर्ष 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में दोनों दल पहली बार साथ उतरे। उसके बाद हर चुनाव में दोनों ही दलों को बिहार की जनता का नेह-स्नेह मिलता रहा और बिहार की चुनावी राजनीति में जदयू और भाजपा मजबूत होते चले। 2000 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 34 सीटें जीतीं। तब उसने 120 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। वहीं भाजपा की झोली में 67 सीटें आईं। 

यह भी पढ़ें: LJP ने नीतीश से बनाई दूरी, पर बीजेपी से कोई शिकवा नहीं

वर्ष 2005 फरवरी में हुए विस चुनाव में जदयू ने 138 उम्मीदवारे उतारे थे और उसे 57 सीटों पर विजय मिली थी। इस चुनाव में भाजपा के 37 प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2005 अक्टूबर में हुए चुनाव में जदयू ने 139 सीटों पर लड़कर 88 सीटें प्राप्त कीं। वहीं भाजपा के 55 प्रत्याशी जीते। वर्ष 2010 में 141 सीटों पर भाजपा के साथ चुनाव लड़ने वाले जदयू ने 115 सीटों पर विजय पायी। वहीं इस चुनाव में 102 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा के 91 उम्मीदवार को जनता ने जीत दिलायी। वर्ष 2015 के चुनाव में जदयू एनडीए गठबंधन से अलग हो गया था। आमने-सामने के चुनाव में जहां जदयू को 101 सीटों पर लड़कर 71 सीटें मिलीं वहीं 157 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा को महज 53 सीटों पर जीत मिली थी। 

यूं बढ़ा जदयू का वोट प्रतिशत 
वर्ष 2000 में समता पार्टी को 6.47 प्रतिशत, वर्ष 2005 फरवरी चुनाव में जदयू को 14.55 प्रतिशत, 2005 अक्टूबर चुनाव में 20.46 फीसदी और 2010 के चुनाव में जदयू को बिहार की जनता ने 22.58 फीसदी वोट दिए। राजद के साथ जाने पर 2015 के चुनाव में जदयू का वोट करीब छह फीसदी घटकर 16.83 फीसदी पर आ गया। वहीं बात भाजपा की करें तो 2005 फरवरी चुनाव को छोड़कर अन्य चुनावों में जदयू के साथ से उसका भी कद निरंतर बढ़ा।  2000 में भाजपा को 14.64, 2005 फरवरी में 10.97, 2005 अक्टूबर में 15.65, 2010 में 16.49 और 2015 विस चुनाव में 24.42 फीसदी वोट मिले। 

पहली बारे अकेले उतरे थी समता पार्टी 
वर्ष 2003 में समता पार्टी जदयू में तब्दील हुई। वर्ष 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में समता पार्टी अकेले ही मैदान में उतरी थी। संयुक्त बिहार की 310 विस सीटों पर उसने प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि जीत महज सात फीसदी सीटों पर मिली थी। तब हरनौत से नीतीश कुमार, धनहा से विष्णु प्रसाद कुशवाहा, गोविंदगंज से देवेन्द्र नाथ दुबे, तारापुर से शकुनी चौधरी, नालंदा से श्रवण कुमार, चंडी से अनिल सिंह और ईमामगंज से रामस्वरूप पासवान समता पार्टी के टिकट पर जीते थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *