Saturday, July 27
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नीतीश से नाराजगी और मोदी से प्रेम, बिहार में NDA से अलग होने का फैसला चिराग ने यूं ही नहीं लिया

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिहाज से अब तक की सबसे बड़ी खबर आ गई है। लंबे समय से राज्य के मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के नेतृत्व को अस्वीकार कर दिया है। रविवार को हुई पार्टी की संसदीय दल की बैठक में लोजपा के नेताओं ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 नीतीश कुमार के नेतृत्व में नहीं लड़ने का फैसला लिया है। यह अचानक लिया गया फैसला नहीं है बल्कि इसकी पटकथा काफी पहले से ही लिखी जा रही थी।

लोजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ही चिराग पासवान ने साफ कर दिया था कि पार्टी जैसी चल रही है, वैसे अब नहीं चलेगी। इसमें वक्त और जरूरतों के हिसाब से बदलाव होगा। इसकी रणनीति बनी और लोजपा के नेताओं ने बिहार सरकार की योजनाओं और नीतियों के खिलाफ धीरे-धीरे बोलना शुरू कर दिया। इसके अलावा चिराग ने पार्टी को 143 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयारी करने का आदेश दे दिया था। इसी के बाद राजनीतीक हलकों में चर्चा शुरू हो गई थी कि चिराग आगे चलकर कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं।

कई मौकों पर अलग स्टैंड दिखा

कई मौकों पर देखा गया कि लोजपा का स्टैंड नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू के स्टैंड से बिल्कुल अलग होता था। हाल ही में एक वाकया तब हुआ जब लोजपा ने कोरोना और बाढ़ से ग्रस्त बिहार में चुनाव कराने का पुरजोर विरोध किया। चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी में यहां तक कह दिया कि अभी चुनाव कराना आम जनता को जानबूझकर मौत के मुंह में धकेलने जैसा है। वहीं नीतीश कुमार की पार्टी बिहार में तय समय पर चुनाव कराने की पक्षधर रही। इस मुद्दे पर भाजपा ने कोई बयान नहीं दिया। पार्टी ने इसे चुनाव आयोग के विवेक पर छोड़ दिया था।

कई बार नीतीश को घेरा

चिराग पासवान ने कुछ महीने पहले ही नीतीश कुमार को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगिए तो नहीं मिलता। किसी की बात नहीं सुनी जाती है। इसके अलावा बिहार में बाढ़, कोरोना, अपराध, बेरोजगारी और कोरोना लॉकडाउन के समय श्रमिकों की वापसी के मुद्दे पर उन्होंने नीतीश कुमार को घेरा। लेकिन हर बार वे बीजेपी के खिलाफ कुछ भी बोलने से बचते रहे। उनके निशाने पर सिर्फ मुख्यमंत्री और जदयू होती थी।

इस मामले पर जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार से मेरी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं हैं। वे बिहार के मुख्यमंत्री हैं तो राज्य की समस्याओं को उनके सामने ही उठाना पड़ेगा। मैं एक जागरूक बिहारी के नेता इन मुद्दे को राज्य के हिता में उठाता हूं। इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं है।

राज्य सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार का आरोप

अभी हाल ही में लोजपा के नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना सात निश्चय पर सवाल उठाए थे। लोजपा के प्रदेश प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने बिहार सरकार की सात निश्चय योजना को फेल करार दिया था। लोजपा का कहना था कि सात निश्चय को लोजपा नहीं मानती है। श्रवण अग्रवाल ने कहा कि सात निश्चय पार्ट वन में भ्रष्टाचार हुआ है और पार्ट-2 को भी हम लोग नहीं मानेंगे। बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने सत्ता में वापसी पर सात निश्चय पार्ट-2 शुरू करने का ऐलान किया है। एलजेपी प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए का कॉमन एजेंडा ही बिहार में चलेगा।

सात निश्चय नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना है और वे इसका बखान हर जगह करते हैं। सरकार का दावा है कि इस योजना के माध्यम से बिहार के गांवों में अच्छा काम हुआ है। चुनावी समर में सत्ताधारी दल इसे अपनी कामयाबी के तौर पर भी प्रस्तुत कर रहा है।

बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट यात्रा

लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट यात्रा निकाली थी। इसके जरिए वे पूरे राज्य में गए। अपनी पार्टी की सोच को लोगों तक पहुंचाया। इसे पार्टी को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण यात्रा के तौर पर देखा गया। इस दौरान उन्होंने अपनी पार्टी की जमीनी हकीकत की तहकीकात ली और यात्रा के समापन के बाद से प्राप्त फीडबैक पर काम करते हुए 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई।

नीतीश का बयान

सीट शेयरिंग को लेकर उनकी कई दौर की बातचीत हुई। हालांकि कोई फैसला नहीं हो पाया क्योंकि पार्टी 143 सीटों की मांग कर रही थी। नीतीश कुमार ने साफ कह दिया था कि लोजपा की समस्याओं का समाधान करने का काम भाजपा का है। बिहार चुनाव के ऐलान के दिन नीतीश कुमार ने कहा था कि 2015 में लोजपा और भाजपा साथ थे तो ये उनकी जिम्मेदारी है। जदयू को इससे कोई लेना देना नहीं है। नीतीश के तेवर को देखते हुए और पार्टी ने अब उनके नेतृत्व को अस्वीकार करते हुए अलग रुख अख्तियार कर लिया है।

इस पूरी पक्रिया के दौरान एक बात गौर करने वाली रही कि लोजपा और चिराग पासवान ने कभी भी भाजपा या उसके नेतृत्व के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला। अभी एक-दो दिन पूर्व ही लोजपा का एक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें लिखा था, ‘मोदी से कई बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं।’ इसे देखते हुए राजनीतिक हलकों में आरोप लगाया जाता है कि चिराग पासवान को जदयू और नीतीश की खिलाफत करने के लिए भाजपा से समर्थन मिल रहा है। इस बात में क्या सच और क्या झूठ है, यह तो वक्त ही बताएगा।

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