बिहार की राजनीति 25 साल बाद एक बार फिर से नई करवट लेने जा रही है। 25 साल पहले बिहार में विधानसभा चुनावों में मतदान पेटियों से ‘जिन्न’ निकलने की बात होती थी। वक्त बदला और अब बैलेट बॉक्स की जगह ले ली है ईवीएम (EVM) ने। ऐसे में 25 साल बाद एक बार फिर से बिहार चुनाव (Bihar Assembly Elections) में सभी अनुमान से विपरीत ईवीएम से ‘जिन्न’ निकल रहा है। इस बार के एग्जिट पोल (Exit Polls) में महागठबंधन को बहुमत मिलते दिखाया गया था, लेकिन जैसे ही रुझान आने शुरू हुए पासा पलट गया। बता दें कि आरजेडी सुप्रीमो और 90 के दशक में बिहार के सीएम रहे लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने तब कहा था कि मतदान पेटियों से ‘जिन्न’ निकलेगा।
लालू प्रसाद यादव की वह बात तब सच हुई थी और बैलेट बॉक्स से निकले वोटों से आरजेडी ने जीत हासिल की थी। 25 साल बाद फिर से तकरीबन सभी एग्जिट पोल के नतीजों में कहा गया था कि तेजस्वी यादव इस बार बिहार के सीएम बनने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक आ रहे रुझानों ने एक बार फिर से चौंकाया।
दरअसल, बिहार की राजनीति में 90 के दशक में ‘जिन्न’ शब्द की खूब चर्चा हुई थी। लालू प्रसाद यादव अपने इसी ‘जिन्न’ के भरोसे बिहार पर करीब डेढ़ दशक तक शासन करते रहे। अब लालू यादव राजनीति से दूर हैं, लेकिन उनके बेटे तेजस्वी यादव भी अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए इसी ‘जिन्न फार्मूले’ पर भरोसा कर रहे थे।
बीजेपी के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी हाल के दिनों में कहते रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव की प्रताड़ना से तंग आकर अतिपिछड़ों और एक जाति को छोड़ कर ओबीसी का वोटबैंक एनडीए के पाले में आ गया है। मोदी अक्सर कहते रहे हैं कि आरजेडी और कांग्रेस को कई सालों तक बिहार में मौका मिला तो उन्होंने अतिपिछड़ों और दलितों को अपमानित करने के साथ-साथ नरसंहारों की भेंट चढ़ाने का काम किया।
एनडीए की साल 2005 में जब सरकार बनी तो पंचायत चुनावों में मुखिया, सरपंच, ब्लॉक प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्षों और वार्ड सदस्यों के लिए अतिपिछड़ों को 20 फीसदी, दलितों को 17 और महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया। जिसका परिणाम हुआ कि ये वर्ग लालू से छिटक कर अब एनडीए के पाले में आ गए है।
एनडीए नेता कहते रहे हैं कि लालू-राबड़ी राज में दलितों, अतिपिछड़ा और ओबीसी को गाजर-मूली की तरह काटा गया। लालू यादव के शासनकाल के उस दौर की प्रताड़ना और अपमान को स्वाभिमानी अति पिछड़ा समाज कभी नहीं भूलेगा।
कुलमिलाकर बिहार की राजनीति से भले ही लालू प्रसाद यादव दूर हो गए हैं, लेकिन आज भी लालू का फार्मूला न सिर्फ चर्चा में है, बल्कि उसी फार्मूले के जरिए आरजेडी चुनाव जीतना चाहती है। कमोबेश तेजस्वी यादव ने भी लालू के उसी फॉर्मूले को इस चुनाव में अपनाया जिसे जनता ने नकार दिया। इसी साल कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह के मौके पर तेजस्वी यादव ने न सिर्फ जिन्न की चर्चा की थी, बल्कि उस जिन्न को पार्टी से जोड़ने की भी वकालत की थी।
बिहार और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें DTW 24 NEWS UPDATE Whatsapp Group:- https://chat.whatsapp.com/E0WP7QEawBc15hcHfHFruf
Support Free Journalism:-https://dtw24news.in/dtw-24-news-ka-hissa-bane-or-support-kare-free-journalism