राज्य के उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव की समीक्षा बैठक के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पतालों में गैप असेसमेंट कराया गया, जिसमें पाया गया कि जिला अस्पतालों में 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं बहाल रखने के लिए अस्पतालों में डाक्टर, महिला रोग विशेषज्ञों के साथ एनेस्थेटिस्ट की काफी कमी है। लेबर रूम चालू रखने के महिला विशेषज्ञों की कमी की बात भी सामने आई है। गैप असेसमेंट करने जिलों में भेजे गए दल की प्रारंभिक रिपोर्ट विभाग को मिलनी शुरू हो गई है, जिसमें यह तथ्य विभाग की जानकारी में आए हैं।
सूत्रों ने बताया डाक्टरों की कमी की वजह से 24 घंटे इमरजेंसी सर्विस और कई जिलों में आइसीयू की सेवा प्रभावित हो रही है। रिपोर्ट में अनुशंसा की गई है कि आइसीयू के लिए न सिर्फ विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता है, बल्कि तीन शिफ्ट में आइसीयू चलाने के लिए कम से कम पांच निश्चेतना विशेषज्ञों की जरूरत है। निश्चेतना रोग विशेषज्ञ की सेवा लेबर रूम और आपरेशन थियेटर के साथ आइसीयू में भी जरूरी है। विभाग तमाम तथ्यों का आकलन कर रहा है।
हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग में 60 हजार पदों पर बहाली का एलान भी किया है। विभाग को उम्मीद है कि आने वाले समय में जिला अस्पतालों में डाक्टरों के साथ ही महिला रोग विशेषज्ञों व एनेस्थेटिस्ट की कमी को दूर कर लिया जाएगा। बता दें कि ग्रामीण हेल्थ स्टैटिक के अनुसार मार्च 2021 में प्रदेश में 37 जिला और 45 अनुमंडलीय अस्पताल संचालित थे। इनके अलावा 306 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को संचालित करने के लिए मानकों के अनुसार 1224 सर्जन, महिला एवं प्रसव रोग विशेषज्ञ, फिजिशियन और शिशु रोग के डाक्टरों की आवश्कता है, जबकि इसकी तुलना में राज्य में 106 ही विशेषज्ञ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत हैं, इनमें सिर्फ 23 महिला रोग विशेषज्ञ हैं।