Saturday, July 27
Shadow

इस फल में आम और पपीते का अनोखा स्वाद, सुपौल की रेड लेडी को खाते ही बोलेंगे- वाह, ये तो लाजवाब

सुपौल : जिले में रेड लेडी पपीता की खेती हो रही है। यह पपीता की खास किस्म है, जिसमें आम और पपीते का स्वाद होता है। पकने के बाद भी यह जल्द खराब नहीं होता है। त्रिवेणीगंज क्षेत्र में किसान ने छह बीघा खेत में इसकी खेती की है जिससे फसल निकलने लगी है। एक पौधे में करीब 20-25 फल प्राप्त होते है जिसमें एक का वजन दो से ढाई किलोग्राम होता है। पपीता का बाजार भी आसानी से उपलब्ध हो रहा है। खेत से ही व्यापारी पपीता खरीदकर ले जा रहे हैं। स्थानीय बाजार के अलावा अररिया और किशनगंज में भी यहां के रेड लेडी की धूम है। सीमांचल के इन जिलों से भी व्यापारी पपीता खरीदने आ रहे हैं।

दरअसल पपीता की पहले खेती नहीं होती थी। लोगों के घर के आसपास इसके पेड़ नजर आते थे। बच्चे कच्चे पपीते की कुचनी बनाकर खाना पसंद करते थे तो बड़े अधपके पपीते और बुजुर्गों को अच्छी तरह से पके पपीते पसंद होते थे। पेट संबंधी गड़बड़ी होने पर पपीता को उबालकर इसका पथ्य दिया जाता था। इसकी खेती नहीं होती थी। जब इसके औषधीय गुणों की समझ लोगों को आई तो इसकी मांग बढ़ने लगी। इसके बाद इसकी खेती शुरू हुई और यह किलो के हिसाब से बिकने लगा।

  • एक पौधे में होते हैं 20-25 फल
  • एक फल का वजन दो से ढाई किलो
  • 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीद रहे व्यापारी
  • किसानों की किस्मत चमकी, हो रही है अच्छी बिक्री

विद्यमान है औषधीय गुण

इसके औषधीय गुणों की चर्चा करते हुए जानकार बताते हैं कि यह कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक होता है और इसमें काफी मात्रा में फाइबर मौजूद होता है। वजन घटाने में, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की भी इसमें क्षमता होती है। आंखों की रोशनी बढ़ाने और पाचन तंत्र को सक्रिय रखने में यह काफी कारगर है। पपीते की इन खूबियों का नतीजा है कि अब यह बाजार में प्लेट में रखकर इसे परोसा जाने लगा है और खानेवाले बिक रहे ठेलों तक पहुंचते हैं।

आम और पपीते मिक्स स्वाद है लाजवाब

जिला उद्यान पदाधिकारी आकाश कुमार बताते हैं कि पपीते की मांग को देखते हुए उन्नत प्रभेद वाले रेड लेडी किस्म को विकसित किया गया है। इसके पौधे में फल लगने के तीन महीने बाद पकने भी शुरू हो जाते हैं। एक पौधे में करीब 20-25 फल लगते हैं प्रति फल का वजन दो से ढाई किलोग्राम होता है। इसके एक ही पौधे में नर और मादा दोनों फूल लगते हैं। इससे प्रत्येक पौधे से फल की गारंटी होती है। इसमें आम और पपीता दोनों का स्वाद मिलता है और यह पकने के बाद जल्दी नरम नहीं होता इसे तोड़ने के बाद भी खराब नहीं होता।

छह महीने में तैयार होती है पौध

त्रिवेणीगंज प्रखंड के मिरजवा निवासी किसान अरुण यादव ने छह बीघा में इसकी खेती की। उन्हें उद्यान विभाग द्वारा खेती की जानकारी मिली। उन्होंने बताया कि लगाने के छह माह बाद पौधों से फल भी निकलने शुरू हो गए। बताया कि पपीता का बाजार भी आसानी से उपलब्ध हो रहा है। खेत से ही व्यापारी 40 रुपये किलो खरीद लेते हैं। बताया कि अररिया और किशनगंज से भी व्यापारी खेत तक पहुंच रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *