Tuesday, May 21
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घर के आंगन में खड़ा कर 4 लोगों का किया था मर्डर, 16 साल बाद सुनाई गई सजा, जानें पूरा मामला

16 साल पूर्व चार लोगों की एक साथ निर्मम हत्या के मामले में जिला जज रमेश चंद्र मालवीय ने तीन लोगों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और एक -एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. घटना चौसा थाना अंतर्गत घड़हरा गांव की है. यहां 7- 8 दिसंबर 2006 की रात चार लोगों की निर्मम हत्या की गई थी. इस मामले में घायल नारद सिंह के बयान पर चौसा थाना में कांड संख्या 81/2006 दर्ज किया गया था; जिसमें चार नामजद और अन्य चार -पांच अज्ञात के ऊपर हत्या का आरोप लगाया गया था. जिसमें खगड़िया जिला अंतर्गत बेलदौड़ थाना के बारून निवासी आरोपी शंभू सिंह, संजय सिंह और नवल किशोर सिंह को सजा सुनाई गई है. जबकि घटना के मुख्य आरोपी बादल सिंह अब भी फरार है.

सूचक नारद सिंह द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार 7-8 दिसम्बर 2006 की दरमियानी रात को सभी लोग अपने घरों में सोए थे. इस बीच रात करीब 12:00 बजे बादल सिंह पिता शिवनारायण सिंह, नवल किशोर सिंह पिता हनुमान सिंह, शंभू सिंह एवं संजय सिंह दोनों के पिता नवल किशोर सिंह 4-5 अज्ञात लोगों के साथ घर आए. सभी के हाथ में कट्टा था. इन लोगों ने पहले हमें जगाया और घर के आंगन में लाकर हाथ को गमछी से बांध दिया. फिर मेरी मझली पुतोहु सुनीता देवी को भी उसके कमरे से बाहर निकाला और आंगन में खड़ा कर दिया.

इसके बाद बादल सिंह ने अपने हाथ में लिए कट्टा से पहले मेरी पुतोहु को गोली मार दी. गोली मारते ही वो मर गई. उसके बाद मुझे भी गोली मार दी, लेकिन मुझे मरा समझकर सभी लोग वहां से चला गया. इसके बाद मेरे पड़ोसी अधिक लाल सिंह के घर गया वहां भी अधिक लाल सिंह और उसके पुत्र ओपी सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी. मामले का सूचक बने नारद सिंह की मृत्यु भी घटना के दो दिन बाद इलाज के दौरान हो गई.

हत्याकांड के एक मामले में 3 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

एफआइआर में घटना का कारण बताते हुए नारद सिंह ने बताया था कि करीब एक साल पहले धुरिया गांव में हल्दी उखाड़ने के लिए मेरी मझली पुतोहु मजदूरी करने गई थी और बादल सिंह भी मजदूरी करने गया था. हल्दी उखाड़ने के क्रम में बादल सिंह और मेरी पुतोहू सुनीता देवी के बीच झगड़ा हो गया. उसी बात को लेकर उसी दिन घर पर भी झगड़ा हो गया था. जिसमें बादल सिंह और उसकी मां को सिर और हाथ में चोट लगी थी.

इस विवाद को गांव के लोगों के द्वारा पंचायती कर सुलझा दिया गया था; जिसमें मुझे इलाज के लिए 20 हजार रुपिया उन लोगों को देना पड़ा और विवाद समाप्त हो गया. लेकिन बादल सिंह पुनः बीती रात उसी बात को लेकर अपने उपरोक्त सहयोगियों के साथ आकर हमलोगों को गोली मार दी; जबकि अधिकलाल सिंह और ओपी सिंह के साथ इन लोगों का जमीन विवाद था.

बादल सिंह पहले उसी गांव में रहता था. लेकिन, घटना से 2 माह पहले अपना परिवार और सामान लेकर वह यहां से चला गया. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद भादवि की घारा 302, 307, 149 व आर्म्स एक्ट समेत अन्य धाराओं में दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा और ₹100000 का अर्थदंड लगाया. बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने सजा के विरुद्ध उच्च अदालत में अपील करने की बात कही.

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