Thursday, May 16
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Karwa Chauth Weather Update: उत्तर बिहार में करवा चौथ पर मौसम को लेकर ऊहापोह की स्थिति, देखें शुभ मुहूर्त

(Karwa Chauth Moonrise Time 7.53 pm) करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है और चंद्रमा की पूजा के बाद ही व्रत का समापन होता है। गुरुवार को यह पर्व मनाया जाएगा। इसकोे लेकर उत्तर बिहार के जिलों में भी महिलाएं तैयारी में जुटीं हैं। हालांकि मौसम को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। उस दिन चांद दिखेगा या नहीं। वहीं मौसम विज्ञानी डा. ए. सत्तार ने बताया कि करवा चौथ दिन के उत्तर बिहार में मौसम बिल्कुल साफ रहेगा। इस दिन बारिश और बूंदाबांदी की कोई संभावना नहीं है। मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार में बीते एक सप्ताह से मानसून की सक्रियता बनी हुई है। सुबह में धूप निकलने के बाद दोपहर होते ही मौसम का मिजाज बदल जा रहा। पश्चिम चंपारण में रूक-रूक बारिश हो रही से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। शहर से लेकर गांव जलजमाव की स्थिति बनी हुई है।

पति की लंबी उम्र की कामना

करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा समेत अन्य जिलों में इसकी खास तैयारी चल रही है। करवा चौथ के दिन शिव, पार्वती, गणेश व चंद्रमा की पूजा की जाती है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।

7:53 बजे चन्द्रमा को दिया जाएगा अर्घ्य

संकष्टी श्रीगणेश करक चतुर्थी (करवा चौथ) का प्रसिद्ध व्रत 13 अक्टूबर गुरुवार को किया जाएगा। इस दिन चन्द्रोदय रात्रि 07:53 बजे चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा। सौभाग्यवती महिलाएं एवं नव विवाहिताएं अपने-अपने सौभाग्य को अखंड व अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए इस व्रत को बड़ी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करतीं हैं। पूर्वी चंपारण शहर के महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने बताया कि कार्तिक कृष्ण चतुर्थी करक चतुर्थी या करवा चौथ के रूप में मनायी जाती है। यह व्रत स्त्रियों का है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य की मंगलकामना करके चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करतीं हैं। उन्होंने बताया कि इस दिन शिव पार्वती और स्वामी कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इसदिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रहते हुए अन्न-जल आदि का सेवन नहीं करतीं हैं। सायंकाल व्रत कथा का श्रवण करतीं हैं तथा रात्रि में चन्द्रोदय होने पर अर्घ्य देकर व्रत खोलती है। लोकाचार के अनुसार इस अवसर पर स्त्रियाँ छिद्र युक्त चलनी से पहले चन्द्रमा और तत्पश्चात् अपने पति का मुखावलोकन करतीं हैं । पति भी अपने हाथों से अपनी पत्नी को जल पिला कर व्रत का समापन कराता है।

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