बेगूसराय : मैथिली एवं हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि, अनुवाद चिन्तक प्रो. देवशंकर नवीन को वर्ष 2021 का दिनकर राष्ट्रीय सम्मान दिया जाएगा। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती के अवसर पर 23 सितम्बर दिनकर जी के गृह जिला बिहार के बेगूसराय में प्रो. देवशंकर नवीन को दिनकर राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। डीएम अरविंद कुमार वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित दिनकर जयन्ती समारोह समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया है
उल्लेखनीय है कि 1993 से राष्ट्रीय स्तर के इस सम्मान के साथ प्रतिवर्ष जनपदीय सम्मान भी एक स्थानीय विशिष्ट रचनाकार को दिया जाता है। अब तक इस दिनकर राष्ट्रीय सम्मान से राष्ट्रीय ख्याति के कई श्रेष्ठ रचनाकारों को सम्मानित किया जा चुका है। 1962 में सहरसा जिला के मोहनपुर में पैदा हुए प्रो. देवशंकर नवीन वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के भाषा साहित्य संस्कृति अध्ययन संस्थान में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।
इससे पूर्व उनकी सेवा से नेशनल बुक ट्रस्ट और इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय का अकादमिक वातावरण समृद्ध हो चुका है। प्रो. नवीन की ओर से अब तक लिखित 21, सम्पादित 24 और अनुवादित आठ कृतियाँ देश के विभिन्न प्रतिष्ठित प्रकाशनों से प्रकाशित और पाठकों के बीच प्रशंसित हैं।
मैथिली एवं हिन्दी में किए गए इनके सारस्वत अवदान के लिए उन्हें अब तक हिंदी अकादमी दिल्ली का श्रेष्ठ युवाकवि सम्मान, उत्तर प्रदेश सरकार का सौहार्द सम्मान, बिहार सरकार का विद्यापति सम्मान, नई धारा रचना सम्मान तथा भूपेंद्र देव कोसी सम्मान दिया जा चुका है।
उनकी नवीनतम प्रकाशित दो आलोचनात्मक कृतियाँ नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से प्रकाशित ”साहित्य और समाज की बात” तथा अंतिका प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ”लोकमान्य मायानन्द” और एक अनूदित कृति ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से प्रकाशित ”भारत का प्राचीन इतिहास” इस समय विशेष रूप से चर्चित हैं
ओ ना मा सी (गद्य-पद्यमिश्रित हिंदी-मैथिली की प्रारंभिक सर्जना), चानन काजर (मैथिली कविता संग्रह), जमाना बदल गया, सोना बाबू का यार, सिरदर्द, हाथी चलए बजार, पहचान (हिंदी कहानी), आधुनिक साहित्य परिदृश्य, राजकमल चौधरी का रचनाकर्म, गीतिकाव्य के रूप में विद्यापति पदावली, समकालीन हिंदी कविता- एक विवेचन, प्रगतिशील हिंदी कविता- एक विवेचन (आलोचना), संपादन-लोकवेद आ लालकिला (गजल संग्रह), प्रतिनिधि कहानियां- राजकमल चौधरी, अग्निस्नान एवं अन्य उपन्यास, पत्थर के नीचे दबे हुए हाथ, विचित्रा (राजकमल चौधरी की कविताएं), सांझक गाछ (राजकमल चौधरी की मैथिली कहानियां), राजकमल चौधरी की चुनी हुई कहानियां, बंद कमरे में कब्रगाह (राजकमल की कहानियां), शवयात्रा के बाद देहशुद्धि, उत्तर आधुनिकता- कुछ विचार, ऑडिट रिपोर्ट (राजकमल चौधरी की कविताएं), बर्फ और सफेद कब्र पर एक फूल (राजकमल चौधरी के निबंध) प्रमुख हैं।