Saturday, July 27
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महागठबंधन के प्रस्ताव को LJP ने ठुकराया, रीना पासवान नहीं होंगी अब महागठबंधन की उम्मीदवार

राज्यसभा की एक सीट के हजार किस्से बन चुके हैं। रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई इस सीट पर एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर सुशील कुमार मोदी तो तय हो चुके हैं। लेकिन महागठबंधन की तरफ से उम्मीदवार कौन होगा, इसपर अब भी संशय बरकरार है। सदन में सत्ताधारी एनडीए से कुछ ही सीट पीछे खड़ी महागठबंधन ने विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव की तरह ही राज्यसभा की इस सीट के लिए हो रहे चुनाव पर भी अपनी ताल अपनी ठोंक दी है। सरकार बनाते-बनाते रह गये महागठबंधन ने ये पहले ही तय कर लिया है कि वो एक मजबूत विपक्ष की तरह नीतीश सरकार को हलकान करने में कही से पीछे नही हटेगी, और राज्यसभा की एक सीट पर उम्मीदवार उतारने के उसके इस ऐलान से ये साफ भी कर दिया है।लेकिन सवाल ये है कि महागठबंधन की तरफ से उम्मीदवार होगा कौन।

राज्यसभा की एक सीट के हजार किस्से बन चुके हैं। रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई इस सीट पर एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर सुशील कुमार मोदी तो तय हो चुके हैं। लेकिन महागठबंधन की तरफ से उम्मीदवार कौन होगा, इसपर अब भी संशय बरकरार है। सदन में सत्ताधारी एनडीए से कुछ ही सीट पीछे खड़ी महागठबंधन ने विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव की तरह ही राज्यसभा की इस सीट के लिए हो रहे चुनाव पर भी अपनी ताल अपनी ठोंक दी है। सरकार बनाते-बनाते रह गये महागठबंधन ने ये पहले ही तय कर लिया है कि वो एक मजबूत विपक्ष की तरह नीतीश सरकार को हलकान करने में कही से पीछे नही हटेगी, और राज्यसभा की एक सीट पर उम्मीदवार उतारने के उसके इस ऐलान से ये साफ भी कर दिया है।लेकिन सवाल ये है कि महागठबंधन की तरफ से उम्मीदवार होगा कौन।

चिराग ने अपनी मां को उम्मीदवार बनाने से किया इंकार

महागठबंधन ने जबरदस्त राजनीतिक चाल चलते हुए लोजपा प्रमुख चिराग पासवान की मां रीना पासवान को महागठबंधन की तरफ से राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार बनने का प्रस्ताव दिया था।लोजपा को दिये इस प्रस्ताव के जरिये महागठबंधन ने एक तीर से कई निशाने साध लिये।सबसे पहले उसने बिहार की राजनीति में अलग-थलग पड़े लोजपा को महागठबंधन के साथ आने का प्रस्ताव डे डाला,तो दूसरी तरफ इस पेशकश के जरिये भाजपा पर रामविलास पासवान के परिवार की अनदेखी का आरोप भी मढ़ दिया। वहीं इसी बहाने उसने दलित समाज के प्रति अपनी सहानुभूति भी जता दी।

क्या है राजद के बोल

राजद के प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि यदि रीना पासवान चुनाव मैदान में आती हैं, तो राजद बिना शर्त उनका समर्थन करेगा। यह सीट लोजपा की है।

लोजपा के इंकार की क्या है वजह

महागठबंधन की इस चाल को बखूबी समझते हुए लोजपा ने राजद की तरफ से मिले इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने महागठबंधन में जाने से साफ इंकार कर दिया है। इसके पीछे वजह ये है कि लोजपा महागठबंधन की हर चाल को बखूबी समझ रही है।लोजपा ये नहीं चाहती कि उसका इस्तेमाल भाजपा के खिलाफ किया जाए। इसकी वजह ये है कि चिराग पासवान को देर से सही एनडीए में ही अपना भविष्य सुरक्षित दिख रही है और महागठबंधन की इस चाल का हिस्सा बन वो केन्द्र में अपने भविष्य को खत्म नहीं करना चाहती। दूसरी तरफ राज्यसभा चुनाव का अंकगणित भी कहीं न कहीं एनडीए के पक्ष में ही है। ऐसे में लोजपा किसी अनिश्चित लाभ के लिए भाजपा की दोस्ती को खोना नहीं चाहती।

इधर उपेंद्र कुशवाहा बना रहे लव-कुश समीकरण

बीते दिनों बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव ने जब नीतीश कुमार पर निजी हमला किया, तो एनडीए अलग होने के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा ने जिस तरह से अपने सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव की निंदा की। उससे ये साफ हो गया था कि उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर नीतीश के साथ आने को तैयार है। इसी सिलसिले में बात एक कदम और आगे तब बढ़ गई,जब उपेंद्र कुशवाहा ने लव-कुश समीकरण बनने की संभावनाओं पर बोलते हुए कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है।असल में बिहार में तीसरे मोर्चे के नेता बने कुशवाहा चुनावी नतीजों में शून्य पर आउट हो गए और अब वो अपने लिए नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। ऐसे में सीटों के मामले में कमजोर हुए नीतीश, जो उनके पुराने साथी भी हैं। कुशवाहा को बेहतर साथी दिखाई दे रहे हैं। लिहाजा कुशवाहा नीतीश कुमार के प्रति इन दिनों कुछ ज्यादा ही नरम दिख रहे हैं।लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ रालोसपा की तरफ से ही दोस्ती की कोशिशें की जा रही है,जदयू ने भी कुशवाहा के प्रति बयानों में इन दिनों नरमी दिखाई है। इस वजह से इनके करीब आने की संभावनाएं और मजबूत हुई हैं।

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