Saturday, July 27
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आज है गोवर्धन पूजा, जानें इस दिन क्या होता है अन्नकूट का महत्‍व

रविवार को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट का प्रसाद होगा. गोबर से भगवान गोवर्धन बनाने के साथ ही महिलाएं गाय की पूजा करेंगी. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा का भी विधान है. इस दिन मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है,  इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्‍ण को उनका भोग लगाया जाता है. इन पकवानों को ‘अन्‍नकूट’ कहा जाता है.

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ऐसी मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था.भगवान श्रीकृष्ण के प्रतिक रूप में गोवर्धनजी को 56 भोग के साथ ही नाना प्रकार के पकवानों का भोग लगाकर उसका वितरण किया जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं इसके बारे में कुछ खास बातें.

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अन्नकूट क्‍या है

अन्नकूट पर भगवान कृष्ण को अलग तरह के पकवान चढ़ाए जाते हैं, इस दिन कृष्ण को भोग लगाए जाते हैं. मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई. एक और मान्यता है कि एक बार इंद्र अभिमान में चूर हो गए और सात दिन तक लगातार बारिश करने लगे. तब भगवान श्री कृष्ण ने उनके अहंकार को तोड़ने और जनता की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को ही अंगुली पर उठा लिया था और तभी से गोवर्धन की पूजा होती है. 

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गोवर्धन पूजा या अन्‍नकूट कब मनाई जाती है?

गोवर्धन पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है. अन्नकूट पूजा दीवाली के एक दिन बाद यानी ठीक दीवाली के अगले दिन मनाई जाती है. इस बार अन्नकूट पूजा 15 नवंबर को है.

गोवर्धन पूजा की कहानी
भगवान श्री कृष्ण ने बृजवासियों को इंद्र की पूजा करते हुए देखा तो उनके मन में इसके बारे में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई. श्री कृष्ण की मां भी इंद्र की पूजा कर रही थीं. कृष्ण ने इसका कारण पूछा तब बताया गया कि इंद्र बारिश करते हैं, तब खेतों में अन्न होता है और हमारी गायों को चारा मिलता है. इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हमारी गायें तो गोवर्धन पर्वत पर ही रहती हैं इसलिए गोवर्धन पर्वत की पूजा की जानी चाहिए. इस पर बृजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी तब इंद्र को क्रोध आया और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी. चारों तरफ पानी के कारण बृजवासियों की जान बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठा लिया. लोगों ने उसके नीचे शरण लेकर अपनी जान बचाई. इंद्र को जब पता चला कि कृष्ण ही विष्णु अवतार हैं, तब उन्होंने उनसे माफी मांगी. इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा के लिए कहा और इसे अन्नकुट पर्व के रूप में मनाया जाने लगा.

भगवान श्री कृष्ण ने बृजवासियों को इंद्र की पूजा करते हुए देखा तो उनके मन में इसके बारे में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई. श्री कृष्ण की मां भी इंद्र की पूजा कर रही थीं. कृष्ण ने इसका कारण पूछा तब बताया गया कि इंद्र बारिश करते हैं, तब खेतों में अन्न होता है और हमारी गायों को चारा मिलता है. इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हमारी गायें तो गोवर्धन पर्वत पर ही रहती हैं इसलिए गोवर्धन पर्वत की पूजा की जानी चाहिए. इस पर बृजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी तब इंद्र को क्रोध आया और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी. चारों तरफ पानी के कारण बृजवासियों की जान बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठा लिया. लोगों ने उसके नीचे शरण लेकर अपनी जान बचाई. इंद्र को जब पता चला कि कृष्ण ही विष्णु अवतार हैं, तब उन्होंने उनसे माफी मांगी. इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा के लिए कहा और इसे अन्नकुट पर्व के रूप में मनाया जाने लगा.

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