पटना . कोविड-19 महामारी के चलते देशभर में कारोबारी गतिविधियां ठप हो गईं. इससे लाखों लोगों की नौकरियां छिन (Job Loss) गईं तो करोड़ों का रोजगार ठप हो गया. इसके बाद अब पूरे देश में बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) धीरे-धीरे घट रही है. इसके बाद भी देश के कम से कम 10 राज्यों में हालत बहुत खराब है और उनकी बेरोजगारी दर दोहरे अंक (Double Digits) में बनी हुई है. इनमें देश की राजधानी दिल्ली , हरियाणा, राजस्थान समेत विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा बिहार (Bihar) भी शामिल है. हालांकि, रोजगार के मामले में बिहार की स्थिति कई राज्यों से बेहतर है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के सितंबर 2020 के लिए जारी आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में बेरोजगारी दर 11.9 फीसदी है. वहीं, दिल्ली में बेरोजगारी दर 12.5 फीसदी और राजस्थान में 15.3 फीसदी है.
बीजेपी शासित राज्यों की हालत बहुत खराब
आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा में बेरोजगारी दर 19.7 फीसदी है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में ये दर 12 फीसदी, उत्तराखंड में 22.3 फीसदी, त्रिपुरा में 17.4 फीसदी, गोवा में 15.4 फीसदी और जम्मू-कश्मीर में 16.2 फीसदी है. माना जा रहा है कि बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष की ओर से बेरोगारी का मुद्दा जमकर उछाला जाएगा. राष्ट्रीय जता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन (Grand Alliance) ने नौकरियों को पहले ही अपने एजेंडा में शामिल कर लिया है. आरजेडी ने सत्ता में आने के बाद 10 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा कर दिया है.
बेरोजगारी दर के मामले में पश्चिम बंगाल और पंजाब की स्थिति कुछ बेहतर है. पश्चिम बंगाल में जहां बेरोजगारी दर 9.3 फीसदी है तो पंजाब में 9.6 फीसदी है. वहीं, सितंबर 2020 में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर (National Rate) 6.67 फीसदी रहा है. ये अप्रैल 2020 की 23.52 फीसदी और मई 2020 की 21.3 फीसदी से बहुत नीचे आ चुकी है. कुल मिलाकर राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर में लगातार सुधार हो रहा है. विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नौकरियों में आया उछाल अस्थायी हो सकता है. उनके मुताबिक, बाजार में मांग का स्तर अभी भी नीचे ही बना हुआ है. औद्योगिक क्षेत्र अभी भी पूरी तरह से सामान्य स्थिति में नहीं लौट पाएं.
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बेरोजगारी दर के लिए ये 3 कारण जिम्मेदार
जानकारों का कहना है कि गर्मियों में होने वाली बुआई के बाद ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार का संकट पैदा हो जाता है. वहीं, मनरेगा से भी जरूरत के मुताबिक रोजगार के मौके पैदा नहीं हो पा रहे हैं. हालांकि, गृह राज्यों को वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों के लिए पिछले कुछ महीनों में मनरेगा के जरिये काफी रोजगार दिया गया. फिर भी ये लौटने वाले लोगों के मुकाबले पर्याप्त नहीं है. वहीं, सर्विस और इंडस्ट्रीयल सेक्टर अब तक सामान्य रफ्तार में नहीं लौट पाया है क्योंकि बाजार में मांग की कमी है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कुछ राज्यों में बेरोजगारी की ऊंची दर इन तीनों कारणों से हो सकती है
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