इस वर्ष तिथियों के घटने का असर त्योहारों पर भी पड़ रहा है। इस साल दो दिन धनत्रयोदशी (धन तेरस) की तिथि होने से लोग असमंजस में हैं। दीपक ज्योतिष भागवत संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि दृश्य गणित एवं प्राचीन गणित के पंचांगों के अनुसार धनत्रयोदशी (धनतेरस) गुरुवार एवं शुक्रवार को मनाई जाएगी। दोनों गणित के पंचांगों के तिथि में लगभग 3 घंटे का अंतर होने से यह पर्व 2 दिन मनाया जा रहा है।
प्राचीन गणित के पंचांग के अनुसार 12 नवंबर (गुरुवार) को सायंकाल 6.30 बजे त्रयोदशी तिथि आ जाएगी। अत: धनत्रयोदशी प्रदोष व्यापिनी होने के कारण मनाई जाएगी। किंतु दृश्य गणित के पंचागों के अनुसार गुरुवार को रात 21.30 बजे त्रयोदशी तिथि आने से 13 नवंबर (शुक्रवार) को प्रदोष व्यापिनी तिथि रहेगी। इसलिए शुक्रवार को धनत्रयोदशी पर्व मनाया जाना अच्छा होगा।
धनत्रयोदशी से दीपोत्सव पर्व का प्रारंभ
धनत्रयोदशी (धनतेरस) से दीपोत्सव पर्व का प्रारंभ होता है। दिवाली पूजा हेतु लक्ष्मी-गणेश, खील-बतासे आदि इसी दिन खरीदे जाते हैं। कार, दोपहिया, सोने-चांदी के सिक्के खरीदना अत्यंश शुभ माना जाता है। इस दिन किसी को वस्तु उधार नहीं दी जानी चाहिए।
- धनत्रयोदशी की रात में चौमुखा दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं, परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती।
- शास्त्रों एवं पुराणों के अनुसार दीपदान करने की अपार महिमा है। इस दिन यह कार्य जरूर करना चाहिए।
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