Patna: बिहार में विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। टिकटों के बंटवारे की गहमा-गहमी चल रही है। महागठबंधन चुनावी दंगल शुरू होने से पहले ही पटखनी खा गई है। सीट बंटवारे को लेकर हुयी प्रेस कांफ्रेस में मुकेश सहनी के अजूबे विद्रोह से तेजस्वी अभी उबरे भी नहीं थे कि दोनों भाईयों के ऊपर हत्या का मुकदमा दर्ज हो गया है।
वहीं सत्ता पक्ष में भी कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एनडीए में फूट पर गई है। चिराग पासवान ने साफ़ कर दिया है कि वह नीतीश कुमार को आगामी चुनाव में अपना नेता नहीं मानेंगे और बिहार में लोजपा-भाजपा गठबंधन की सरकार बनायेंगे। चिराग पासवान ने शुरू से ही बगावती रूख अपना रखा था। भाजपा शीर्ष नेताओं से हुई बातचीत में भी उन्होंने नीतीश कुमार को लेकर अपनी राय साफ कर दी थी।
क्या टूट जाएगा भाजपा-जदयू गठबंधन:
चिराग के इस एलान के बाद से ही जदयू खेमे की चिंताएं बढ़ गई है। नीतीश कुमार भी तुरंत ही एक्शन मोड में आ गए हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी किसी भी दागी नेताओं को टिकट नहीं देने जा रही है। वहीं जदयू प्रवक्ता भी पूरे प्रकरण पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
इन सबके बीच बिहार के राजनीतिक गलियारों में ख़बरें यह भी चल रही है कि बिहार में जदयू-भाजपा का गठबंधन टूट सकता है। हालांकि, ये राजनीतिक गलियारों की अपुष्ट ख़बरें हैं। लेकिन अभी तक के अनुसार यह तय कि जिन सीटों से दावेदार भाजपा के उम्मीदवार होंगे, वहां लोजपा अपना कैंडिडेट नहीं उतारेगी। लेकिन जदयू के सीटों पर लोजपा के नेता भी दाँव लगाएंगे। भाजपा-जदयू के बीच कुछ सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। हालांकि, ख़बरें यह भी आ रही हैं कि सीट विवाद सुलझ गया है। किसी भी वक्त आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
सिर्फ बिहार में है जदयू-भाजपा का गठबंधन:
लोजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी लोगों को यह बताएगी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने CAA-NRC का विरोध किया था, नीतीश कुमार ने तीन तालाक का विरोध किया था, नीतीश कुमार ने कश्मीर से धारा 370 के हटाये जाने का विरोध किया था। लोजपा सूत्रों का कहना था कि चिराग पासवान इन्हीं सब मुद्दों के आधार पर नीतीश कुमार का विरोध करेंगे और लोगों को बताएँगे कि नीतीश कुमार NDA में रहते हुए गठबंधन धर्म के खिलाफ हैं और भाजपा समेत अन्य घटक दलों से अलग चलते हैं. साथ ही बता दें कि जदयू और भाजपा का गठबंधन सिर्फ बिहार में है। जबकि झारखंड-हिमाचल समेत अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में जदयू अपना उम्मीदवार भाजपा के खिलाफ उतारती है।
बीजेपी डबल मुश्किल में:
बता दें कि 2019 के लोकसभा परिणाम आने के बाद भी जदयू-भाजपा में मंत्री पद को लेकर मनमुटाव हो गया था। जिसके बाद जदयू गठबंधन में तो बनी रही लेकिन जदयू के एक भी सांसद सरकार में शामिल नहीं हैं और न केंद्र सरकार के किसी भी पद पर हैं।
वहीं भाजपा के लिए अब मुश्किल होगा लोजपा से पल्ला झाड़ पाना और दूसरी तरफ भाजपा के ऊपर जदयू के तरफ से भी दवाब होगा कि आप लोजपा को लेकर अपना स्टैंड क्लियर करें. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार भाजपा आलाकमान से रामविलास को केंद्रीय मंत्रीमंडल से बाहर करने को भी कह सकते हैं। ताकि, दोनों घटक दल एकदूसरे के प्रति इमानदार भाव से चुनाव में जा सकें।
पुष्पम प्रिया बन रही हैं तीसरा विकल्प !:
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से संबंधित मुद्दे लेकर जब भी हम जनता के बीच जाते हैं तो लोगों का कहना होता है कि हमने जदयू को भी 15 साल तक मौका दिया और राजद को भी 15 साल तक देख चुके हैं। अब हमारे पास विकल्प का अभाव है। कुछ क्षेत्र के युवाओं का कहना होता है कि हम इस बार निर्दलीय को चुनेंगे। तो वहीं कुछ मतदाता नोटा दबाने की भी बात करते हैं।
लंदन से पढाई कर बिहार की राजनीति में पार्श्व प्रविष्टि करने वाली बिहार की ही बेटी पुष्पम प्रिया चौधरी ने भी अपने पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी है। प्लुरल्स पार्टी की तरफ से 40 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी गई है। पार्टी ने कहा है कि अगले 24 घंटे के अंदर बाकी 31 सीटों पर भी कैंडिडेट की घोषणा कर दी जाएगी।