पटना. बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को मतदान होना है. इसके नतीजे 10 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. जाहिर तौर पर सभी सियासी दल जनता को लुभाने के लिए अपने सभी दांव आजमा रहे हैं. हालांकि चुनाव मतदान और चुनाव परिणाम से पहले कई तरह की राजनीतिक संभावानएं भी जन्म लेती दिख रही हैं. पहले लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) द्वारा यह कहना कि 10 नवंबर को बिहार में लोजपा-भाजपा (LJP-BJP) की सरकार बनेगी, इस पर काफी चर्चा हुई. बीजेपी नेताओं को लगातार ऐसे कयासों को लेकर सफाई देनी पड़ी. यहां तक कि स्थिति स्पष्ट करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता व गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) को भी सामने आना पड़ा. अब बिहार के सियासी गलियारे में एक और ऐसा बयान आया है जिसने राजनीतिक खलबली मचा दी है.
दरअसल, सोमवार को जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इलेक्शन कैंपेन के लिए निकल रहे थे तो उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, चिराग पासवान के साथ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जो किया वह अच्छा नहीं था. उनको इस समय अपने पिता की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है, लेकिन रामविलास पासवान हमारे बीच नहीं हैं और हम इससे दुखी हैं. जिस तरह से नीतीश कुमार ने व्यवहार किया, वह अन्याय था.
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तेजस्वी यादव के चिराग पासवान पर दिये गए बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल अक्टूबर में जब रामविलास पासवान का निधन हुआ, तो तेजस्वी के पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी ने कहा कि रामविलास पासवान के निधन से लालू परिवार भी शोक में था. हालांकि नीतीश कुमार ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की, लेकिन यह भी सत्य है कि चिराग पासवान लगातार नीतीश की आलोचना कर रहे हैं.
जाहिर तौर पर चिराग पासवान के सपोर्ट में तेजस्वी का बयान नीतीश कुमार के दो दुश्मनों के एक होने के रूप में भी देखा जाने लगा है. साथ ही तेजस्वी और चिराग पासवान की आपसी अंडरस्टैंडिंग को भी दिखाता है. आपस की यह समझ तेजस्वी के निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर विधानसभा सीट पर भी दिख रहा है. दरअसल चिराग पासवान ने भाजपा के उच्च जाति का वोट काटने के उद्देश्य से वहां राजपूत उम्मीदवार को सीट पर उतारा है, जिससे तेजस्वी यादव को मदद मिलेगी.
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दरअसल तेजस्वी यादव के खिलाफ बीजेपी उम्मीदवार सतीश यादव हैं, जिन्होंने 2010 में राबड़ी देवी को बड़े अंतर से हराया था. तब उन्होंने नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था. हालांकि 2015 में पिछले चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार सतीश यादव तेजस्वी से हार गए थे. यही नहीं चिराग पासवान और नीतीश की तल्खी को और हवा देने की भी तेजस्वी की रणनीति माना जा रहा है.
राजनीतिक जानकार यह भी बता रहे हैं कि चिराग पासवान के प्रति पूरे लालू परिवार की सहानुभूति दिखाने के साथ ही बिहार में नई सियासी संभावानाएं भी दिखने लगी हैं. खास तौर पर चुनाव बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति अगर आती है तो तेजस्वी की चिराग के लिए ये सहानुभूति कुछ अलग ही गुल खिला सकती है. शायद ऐसी स्थिति भी आ जाए कि चिराग नीतीश के लिए अपनी अदावत के साथ आगे बढ़ेंगे तो तेजस्वी बिहार के सीएम बन सकते हैं.
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सियासत संभावनाओं का खेल है और इसमें कोई भी स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होते. यही नीतीश कुमार कल तक चिराग के लिए चुनाव प्रचार करते थे और चिराग ने उन्हीं से बैर ले लिया है. कारण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल तो सियासत ही है. हाल में ही चिराग ने तेजस्वी को अपना छोटा भाई बताया था. ऐसे में माना जा रहा है कि चिराग पासवान भी एक स्पेस तो रखकर ही सियासी कदम आगे बढ़ा रहे हैं.