आज आस्था के महापर्व छठ पूजा का दूसरा दिन है. आज खरना है. आज के दिन महिलाएं गुड़ की खीर बनाती हैं और व्रत रहती हैं. इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देन से पारण करने तक अन्न-जल ग्रहण नहीं करते हैं. खरना एक प्रकार से शुद्धिकरण की प्रकिया है. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद अगले 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है. छठ पर्व विशेष रूप से छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना का पर्व होता है. मान्यता अनुसार, छठ पूजा कर महिलाएं अपनी संतानों की लंबी आयु के लिए, छठी मैया से कामना करती है. क्योंकि षष्ठी माता जिन्हें हिन्दू धर्म में छठी मैया कहा गया है, वो खासतौर से बच्चों को लम्बी उम्र प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजी जाती है. कई राज्यों में षष्ठी माता को देवी कात्यायनी का रूप भी माना गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि के दिन किये जाने का विधान है. सूर्य देव (Surya Dev) की आराधना और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए समर्पित छठ पूजा (Chhath Puja) हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. आइए जानते हैं छठ पूजा का शुभ मुहूर्त और छठ पूजा की संपूर्ण विधि…
21 नवंबर (उषा अर्घ )- सूर्योदय का समय : 06:48:52
छठ पूजा की संपूर्ण विधि
●छठ पूजा वाले दिन, सबसे पहले तीन बांस और पीतल की तीन टोकरियों या सूप लें.
●अब एक सूप में नारियल, गन्ना, शकरकंद, चकोतरा या बड़ा निम्बू, सुथनी, लाल सिन्दूर, चावल, कच्ची हल्दी, सिंघारा आदि, रखें.जबकि दूसरे में प्रसाद के लिए मालपुआ, खीर पूरी, ठेकुआ, सूजी का हलवा और चावल के लड्डू रखें.
●इसके साथ ही एक अन्य टोकरी में इन सामग्री के साथ ही कर्पूर, चन्दन, दिया, शहद, पान, सुपारी, कैराव, नाशपाती, आदि भी रखें.
●इसके बाद हर सूप में एक दिया और अगरबत्ती जलाएं.
●फिर सूर्य को अर्घ देने के लिए नदी या तालाब में उतरे.साथ ही संध्या अर्घ और उषा अर्घ की प्रक्रिया पूरी करते हुए, इस पर्व का समापन करें.
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