Tuesday, April 30
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पटना यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट के लिए 3 कंपनियों के ऑफर, छात्र ठुकरा रहे जॉब्स

Patna University Campus Placement: एक तरफ पटना विश्वविद्यालय में नामांकन लेने के लिए छात्रों को काफी अच्छे मार्क्स लाने पड़ते हैं तो वहीं दूसरी ओर खबर सामने आ रही है कि यहां के छात्र प्लेसमेंट (Jobs Offer in Patna University) के ऑफर को भी ठुकरा रहे हैं. बड़ी कंपनियों से ऑफर तो मिल रहा है लेकिन कॉलेज के छात्र प्लेसमेंट में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.

पटना यूनिवर्सिटी के प्लेसमेंट इंचार्ज शशांक भूषण लाल बताते हैं कि अभी यहां तीन कंपनी फेडरल बैंक, सिंटेक्स और आकाश इंस्टीट्यूट से अधिग्रहण किया हुआ बायजू ( BYJU’S) की ओर से प्लेसमेंट का ऑफर आया है. अप्लाई करने की अंतिम तिथि बुधवार 18 जनवरी तक थी, लेकिन विश्वविद्यालय के 10 कॉलेज से आकाश इंस्टीट्यूट में मात्र 62 छात्र-छात्रा ने अप्लाई किया है. उसके लिए भी हमें काफी मशक्कत करनी पड़ी है. 

छात्र ठुकरा रहे ऑफर

उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा फिजिक्स के छात्र-छात्राओं की मांग थी, लेकिन फिजिक्स से मात्र तीन छात्रों ने अप्लाई किया है. जूलॉजी से 22 छात्रों ने अप्लाई किया है जिसकी जरूरत बहुत कम है. वहीं सिंटेक्स में एमबीए के छात्र की जरूरत है. वहां मात्र तीन ने अप्लाई किया हैं. फेडरल बैंक के लिए अभी कंपनी के एचआर ने डाटा नहीं दिया है कि कितने छात्रों ने अप्लाई किया है. उन्होंने बताया कि टाटा ग्रुप से ऑफर मिला है जिसमें छात्रों को ट्रेनिंग दी जा रही है. अगर यह ट्रेनिंग में पास हो जाते हैं तो टाटा ग्रुप के किसी भी कंपनी में उन्हें जॉब के लिए कोई प्रोसेस में आने की जरूरत नहीं है. सीधा इंटरव्यू होगा, लेकिन उसके लिए भी बहुत कम छात्र-छात्रा ट्रेनिंग में भाग ले रहे हैं.

कम छात्र ले रहे ट्रेनिंग

आगे उन्होंने बताया कि वाणिज्य कॉलेज में तीसरी बैच की ट्रेनिंग हो रही है. उसमें पहले दो बैच में 180 छात्र-छात्राओं ने ट्रेनिंग की और अभी तीसरे बैच में 177 तो कुल मिलाकर 357 छात्र पटना यूनिवर्सिटी के वाणिज्य कॉलेज से टाटा ग्रुप के लिए ट्रेनिंग में गए हैं. वहीं मगध महिला कॉलेज से तीनों बैच मिलाकर 112 छात्राएं ट्रेनिंग ले रही हैं तो वहीं पटना वीमेंस कॉलेज में पहले के दो बैच में 45 छात्राएं और अभी तीसरे बैच में 55 छात्राओं ने ट्रेनिंग ली है. कुल 100 छात्राएं पटना वीमेंस कॉलेज से टाटा ग्रुप में ट्रेनिंग ली है. पटना यूनिवर्सिटी  में 23000 छात्र-छात्राएं हैं ,लेकिन मात्र 569 स्टूडेंट्स ने अपना भविष्य बनाने के लिए ट्रेनिंग ली है.

पटना विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट के लिए छात्रों का डाटा भी तैयार नहीं है 

बेरोजगारी को लेकर युवा लोग आए दिन सरकार पर ताने मारते हैं तो फिर पटना विश्वविद्यालय जैसी बड़ी संस्था के छात्र भविष्य बनाने के लिए क्यों पीछे भाग रहे हैं. इसके पीछे बहुत से कारण हैं. पटना विश्वविद्यालय से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बिहार में बड़ी कंपनियों के ऑफर तो नहीं आते हैं, लेकिन छोटी कंपनियां पटना विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट के लिए ऑफर देती है. टर्म एंड कंडीशन होती है कि अप्लाई करने के बाद अगर जिस छात्र छात्राओं को कंपनी रखती है उसे छह महीने के लिए ट्रेनिंग देती है. फेडरल बैंक में 16000 रुपये प्रति महीने ट्रेनिंग के दौरान दी जाएगी. इसमें छात्रों का कहना है कि हमने इतनी पढ़ाई केवल 16000 के लिए नहीं की है. दक्षिण भारत के कॉलेजों के प्लेसमेंट में ट्रेनिंग के दौरान 40000 से ज्यादा दिए जाते हैं. उसी तरह जितनी भी कंपनियों के ऑफर हैं उसमें 16 से 20 हजार दिए जाएंगे जिसके चलते छात्र प्लेसमेंट के ऑफर को ठुकरा देते हैं. 

प्लेसमेंट के लिए कॉलेज के पास छात्रों का  डाटा नहीं

दूसरी बड़ी वजह यह  है कि पटना विश्वविद्यालय में 23000 छात्र तो हैं, लेकिन प्लेसमेंट के लिए कितने छात्र हैं उसका डाटा विश्वविद्यालय ने नहीं बनाया है. उन्होंने बताया कि हमारे पास उसका कोई डाटा नहीं है. बिहार सरकार की ओर से कर्मियों और प्रोफेसर के वेतन देने के अलावा कोई अतिरिक्त फंड उपलब्ध नहीं होते जिससे प्लेसमेंट के लिए छात्रों को कैसे प्रेरित किया जाए और कैसे सभी को जानकारी मिली इसके लिए उतनी मुकम्मल व्यवस्था की जाए. मुख्य बात ये है कि सभी छात्रों तक पूरी जानकारी नहीं पहुंच पाती है. दक्षिण भारत के कॉलेजों में कंपनी खुद आती है, लेकिन यहां हमें बुलानी पड़ती है. उसकी मुख्य वजह है कि कंपनी के अधिकारियों को कॉलेज की ओर से डोनेशन मिलते हैं और कॉलेज छात्रों को फीस में वसूल लेती है.

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