Friday, March 29
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…तब सासाराम के एसडीओ हुआ करते थे चेयरमैन, नगरपालिका वसूलता था प्लेटफार्म शुल्क, एक्का चालक भी लेते थे लाइसेंस

सासाराम नगरपालिका में 50-60 के दशक में प्लेटफार्म फी भी वसूला जाता था। शहर में चलने वाली हाथ की गाड़ियों व ठेला से भी 282 रुपये टैक्स की वसूली होती थी। तब फूड लाइसेंस भी निर्गत करने का अधिकार नगरपालिका के पास ही रहता था। खतरनाक कार्य में लगे व्यापारियों से अलग टैक्स की वसूली होती थी। अपने संसाधनों से नगरपालिका द्वारा सड़कों की मरम्मत भी कराई जाती थी। तब नगरपालिका के पास खर्च से अधिक आमदनी होती थी। बंगाल सरकार के प्रभारी सचिव द्वारा 24 मार्च 1869 को सासाराम नगरपालिका के गठन की अधिसूचना कोलकाता गजट द्वारा जारी की थी ।

एक अप्रैल 1869 से सासाराम नगर पालिका ने अपना काम शुरू कर दिया। आरंभ में छह वार्डों से शुरू नगर पालिका अब 48 वार्डों वाला नगर निगम बन चुका है। तत्कालीन नगर परिषद क्षेत्र के अलावा सदर प्रखंड सासाराम की नौ पंचायत और शिवसागर प्रखंड की एक पंचायत के कुल 82 गांव शामिल कर उसे शहरी क्षेत्र बनाया गया है। इसके पूर्व 1975 में छह बढ़ कर वार्डों की संख्या 25 हो गई थी। 2002 में नगरपालिका से नगर परिषद बनने पर इसके वार्डों की संख्या 30 हो गई थी। 2007 में पुन: 30 से वार्ड से 40 वार्ड बनाए गए थे। अबतक 57 चेयरमैन भी हुए हैं।

सासाराम के एसडीओ हुआ करते थे चेयरमैन

वर्ष 1920 से पहले चेयरमैन सामान्यत: सासाराम के एसडीओ हुआ करते थे एसएस लारेंस पहले चेयरमैन थे। 13 वें चेयरमैन केदारनाथ दत्त पहले भारतीय चेयरमैन बने थे।शाहाबाद गलेटियर के अनुसार सासाराम नगरपालिका तब काफी संपन्न माना जाता था। व्यय से अधिक इसकी आय थी। 1961-62 में नगरपालिका की आमदनी 153634 रुपये और व्यय 141174 रुपये थी। 1962 में नगरपालिका द्वारा होल्डिंग टैक्स, जलकर, खतरनाक कार्य वाला ट्रेड टैक्स, प्लेटफार्म शुल्क, प्रोफेशनल टैक्स, निजी वाहन टैक्स, एक्का लाइसेंस टैक्स, एक्का ड्राइवर फी, टाउन कार्ट टैक्स, फूड लाइसेंस टैक्स की वसूली होती थी। शिक्षा व चिकित्सा सेस भी वसूल किया जाता था। शहर के अंदर सड़कों के मरम्मत की जवाबदेही भी नगरपालिका की होती थी।

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