Saturday, April 20
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कोर्ट में गूंजी सजा पाने वालों के परिजनों की चीत्कार, ऐसी ही चींख-पुकार साढ़े 4 साल पहले गूंजी थी खजूरबानी में

जिला एवं सत्र न्यायालय गोपालगंज के पास शुक्रवार को वैसी ही रोने और चींखने की आवाजें सुनाई दीं, जैसी आवाज 16 अगस्त 2016 को खजूरबन्नी में घर-घर से सुनाई दे रही थी। जहरीली शराब से 19 लोगों की मौत मामले में गोपालगंज के ADJ-2 ने जब 9 पुरुषों को फांसी और 4 महिलाओं को उम्रकैद की सजा सुनाई तो उनके परिजनों के बीच कोहराम मच गया। पूरे कोर्ट परिसर में चीत्कार गूंज उठी। फांसी और उम्रकैद की सजा सुनाई जाने के बाद दोषियों के घर की महिलाएं फूट-फूट कर रोने लगीं।

क्या हुआ था 16 अगस्त की रात
गोपालगंज के वार्ड नंबर 25 स्थित खजूरबन्नी मोहल्ले में 16 अगस्त की रात से लेकर सुबह तक घर-घर से लाश निकल रही थी। मरने वाले सभी गरीब परिवार के थे। कोई ठेला चलाकर परिवार का पेट पाल रहा था तो कोई सब्जी बेच कर गुजारा करने वाला था। हर घर से चींख-पुकार की आवाजें आ रही थीं। कोई किसी के आंसू पोंछने वाला नहीं था। सबसे ज्यादा मौत नोनिया टोली, पुरानी चौक और हरखुआं मोहल्ले के लोगों की हुई थी।

16 अगस्त 2016 को गोपालगंज जिले में हुए इस शराबकांड में 19 लोगों की मौत हो गई थी। -फाइल फोटो

16 अगस्त 2016 को गोपालगंज जिले में हुए इस शराबकांड में 19 लोगों की मौत हो गई थी। -फाइल फोटो

आधा दर्जन लोगों की आंखों की रोशनी गई
जहरीली शराब से 19 लोगों की मौत के अलावा आधा दर्जन लोग अंधे हो गए थे। एकाएक लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। शुक्रवार को इस घटना के साढ़े 4 साल बाद जब कोर्ट ने फैसला सुनाया तो दोषियों के घर की महिलाएं फूट-फूट कर रोने लगीं।

10 घंटे तक होता रहा पोस्टमार्टम
जहरीली शराब से मरने वालों में शशिकांत, मंटू गिरि, परमा महतो, दिनेश, विकास सहित 19 लोग शामिल थे। शराबबंदी के कारण कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए ज्यादातर मृतकों के परिजन शव को छुपा दिए थे। घटना के दूसरे दिन करीब 10 घंटे तक पोस्टमार्टम चलता रहा। कानूनी प्रक्रिया के डर से कुछ मृतकों के परिजनों ने शराब पीने से मौत की बात से ही इनकार कर दिया था। कई ने दूसरी बीमारी का बहाना बनाया और प्रशासन के पहुंचने से पहले ही शव का दाह संस्कार कर दिया।

जिन्हें न्याय मिला वे खामोश
खजूरबन्नी जहरीली शराब कांड के दोषियों को सजा तो मिल गई, लेकिन वे लोग कुछ भी नहीं बोल रहे हैं, जिनको न्याय मिला है। वहीं दोषी करार दिए गए लोगों के परिजन रो-रोकर कह रहे हैं कि उनके घर के व्यक्ति ने कोई गलती नहीं की थी। एक दोषी की पत्नी बोल रही थी कि उसके पति निर्दोष हैं। उन्हें इस केस में जबर्दस्ती डाला गया है। पीड़ित पक्ष के वकील का कहना है कि न्याय को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

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