Patna: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक विवादित बयान सामने आया हैं. जी हां जिसमें CM ने कहा है कि ‘लड़का-लड़का शादी करेगा तो बच्चा कहां से पैदा होगा?’ उन्होंने ये बातें एक गर्ल्स हॉस्टल के शुभारंभ के समय अपने कॉलेज के दिनों के किस्से बताते हुए कही.
बता दे, महिलाओं की तारीफ करते-करते बिहार के मुखिया समलैंगिकता पर भी बोले. उन्होंने कहा कि ‘शादी होगी तभी तो बाल-बच्चे होंगे, बिना स्त्री के कोई पैदा हुआ है? लड़का-लड़का शादी कर लेगा तो कोई पैदा होगा?’ उन्होंने दहेज के लिए भी कटाक्ष किया और कहा कि इसके बाद भी लोग शादी करने के लिए दहेज की मांग करते हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि ‘जब हम लोग इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते थे तो एक भी लड़की साथ में नहीं पढ़ती थी. क्या स्थिति थी, इतना खराब लगता था. कोई भी महिला आ जाती थी तो सब लोग खड़े होकर उसको देखने लगते थे.’
विदित हो, नीतीश कुमार ने सोमवार को पटना के मगध महिला कॉलेज में महिमा छात्रावास का उद्घाटन किया.
जिसके दौरान उन्होंने यह बात कही.
वहीं जानकारी के लिए बता दे सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने छह सितंबर 2018 को (नवतेज सिंह जोहर और केंद्र सरकार के मामले में) अपने फैसले में कहा था कि ‘LGBTQ समुदाय के सदस्यों को भी संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के तहत गरिमा के साथ जीने का हक है.’ लेकिन इसमें समलैंगिक जोड़ों के विवाह होने पर उसे मान्यता देने या उसके पंजीकरण के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं थी.
पीठ ने अपनी व्यवस्था में अप्राकृतिक यौनाचार से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के एक हिस्से को निरस्त करते हुए कहा था कि यह समता और गरिमा के साथ जीने की आजादी प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन करता है. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल थीं.