Tuesday, March 19
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बिहार में महंगी होगी जमीन, शहर से लेकर गांव तक का सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी

बिहार में जमीन खरीदने वाले लोगों को अब और बड़ा झटका लगेगा. सूबे में जमीन में पहले से ज्यादा महंगी होगी. जल्द ही जमीन का एमवीआर यानी मिनिमम वैल्यू रेट जल्द बढ़ सकता है. ऐसे में जमीन रजिस्ट्री के लिए ज्यादा पैसा चुकाना होगा. इस बदलाव को लेकर जमीन के मिनिमम वैल्यू रेट (एमवीआर) में जिला मूल्यांकन समितियों ने मद्यनिषेध उत्पाद और निबंधन विभाग को प्रस्ताव भेज दिया है. 

विभागीय अधिकारी इसकी समीक्षा में जुटे हैं. जिसके बाद विस्तृत समीक्षा के बाद राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया जायेगा. सरकार की मंजूरी मिलते ही एक अप्रैल से संशोधित एमवीआर लागू हो सकता है. एमवीआर जमीन का वह न्यूनतम निर्धारित मूल्य होता है, जिसके आधार पर उसकी खरीद-बिक्री पर रजिस्ट्री शुल्क वसूल की जाती है.

फिलहाल इसके लिए जिलों की राय ली जा रही है. राज्य सरकार का निबंधन विभाग इसके लिए होमवर्क में जुटा है. राज्य सरकार से हरी झंडी मिलते ही जिलों के स्तर पर एमवीआर बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. उसके बाद बढ़ी हुई दरों के आधार पर लोगों को निबंधन शुल्क देना होगा. अगर किसी सरकारी परियोजना के लिए किसी रैयत की जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उस रैयत को मुआवजा के रूप में जमीन की कीमत एमवीआर के तहत ही दी जाएगी. इसके लिए संबंधित जिले के जिलधिकारी के गाइडलाइन को ध्यान में रखा जाता है.

क्या है एमवीआर

एमवीआर यानी मिनिमम वैल्यू रेट वह दर होती है जिसे सरकार किसी जमीन का न्यूनतम मूल्य मानती है. किसी खास इलाके में खास तरीके की जमीन की हो रही खरीद-बिक्री में जो औसत बाजार मूल्य पाया जाता है, उसी के आस-पास एमवीआर तय किया जाता है. संबंधित जिलों के जिलाधिकारी इसे अधिसूचित करते हैं. 

अधिसूचित होने के बाद जमीन की रजिस्ट्री में उस खास तरह की जमीन का सरकार वही मूल्य मानकर चलती है. जमीन विक्रेता या खरीदार को उसी आधार पर निबंधन शुल्क तय करना होता है. अगर कोई जमीन एमवीआर से कम कीमत में भी खरीदता है तो उसे निबंधन शुल्क एमवीआर के तहत ही देना होता है.

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